सोमवार, 15 मार्च 2021

*अखण्ड स्वास्थ्य ७४. भ्रांत धारणायें

 🔮📖💥📖🔮

*अखण्ड स्वास्थ्य*

           ७४.

  *भ्रांत धारणायें*

           १०.

 *जांचों का लंबा-चौड़ा कार बार एक बडा़ भ्रांत जाल* 

☝️ आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने रोग निदान के अनेक  आविष्कार किये है आविष्कार कर्ताओं ने तो अविष्कार मानवता के हितार्थ ही किए, लेकिन बाजार वादियों ने गलत लोगों ने उनका दुरुपयोग भी कम नहीं किया ।

एलोपैथिक की दुनिया में जब औषधियों का असर कम होना शुरू हो गया या उसके साइड इफेक्ट आना शुरू हो गए, दुष्परिणाम आना शुरू हो गए तो धंधे बाजों ने अपने धंधे के विस्तार के लिए जांचों का इतना लंबा चौड़ा बाजार खड़ा कर दिया जिसमें किसी भी रोगी का कोई उपचार तो होता नहीं पर जांचों ही जांचों में उनकी अकूत संपदा जेब खाली हो जाती है, खून पसीने की कमाई चली जाती है और हां कुछ जांचें ऐसी है जो आधुनिक रोग निदान में बड़ी सहायक हुई जिससे खून का हीमोग्लोबिन ,क्रिएटनीन, यूरिया, टीएलसी, डीएलसी, यूरिक एसिड, लाल कण, श्वेत कण ,शूगर लेबल व ऐसी कुछ और जांचे हैं जो  रोग की स्थिति का सही निदान कर देती है । लेकिन धंधेबाजों ने जांचों का इतना लंबा चौड़ा जाल बढ़ा दिया है ताकि उस आधार पर इनके यंत्र, उनके केमिकल बिकते रहे व उनसे संबंधित सामग्रियां बिकती रहे और इस आधार पर अरबों खरबों का बाजार खड़ा हो गया और आज चिकित्सक को , डॉक्टर को दवा और उपचार करने से ज्यादा रुचि जांचों में हो गई क्योंकि खुला कमीशन इस क्षेत्र में लेबोरेटरी के साथ डॉक्टरों का बंधा रहता है जो कहने की जरूरत नहीं है यदि डॉक्टर अपनी फीस न भी लें तो भी वह जांचों में इतना धन कमा लेते हैं जो सोचा नहीं जा सकता है  इसके अलावा इतने षड्यंत्र और गलत कार्य 

इस व्यवस्था तंत्र में होते हैं जिसको मैं आपको बता नहीं सकता उसकी कोई सीमा नहीं । यह एक बहुत कड़वा सत्य  है हो सकता हमारे चिकित्सा जगत के बंधुओं को बहुत कठोर लगे लेकिन यह एक नग्न  कटु सत्य है । समाज की मजबूरियां हैं कि वह बेचारा कुछ कर नहीं सकता जो डॉक्टरों के ऊपर आश्रित है जो वह कहता है वह करना पड़ता है लेकिन इन जांचों के भारी बाजार से मानव का लाभ बिल्कुल नहीं होता रोगी का लाभ बिल्कुल नहीं होता और केवल जांच जांच में उसकी जेब खाली हो जाती है उपचार तो बाद की वस्तु है ।

आयुर्वेद के मूल सिद्धांत और तीन आधारों को लेकर ही ऋषियों ने संपूर्ण शरीर के स्वास्थ्य विज्ञान को आधार दे दिया और इन तीनों के शमन व शोधन पर ही संपूर्ण मानव का स्वास्थ्य टिका हुआ है और इसी आधार को लेकर आहार क्रम, औषधि उपचार, शोधन क्रिया की व्यवस्था करा दी जाती है तो मानव की समस्त आधी - व्याधियां जड़ से मिट जाती है अतः आप इस भ्रांत धारणा से बाहर निकले की चांजों से कुछ भला होगा । इतनी लंबी चौड़ी जांचों की लिस्ट बन चुकी है कि मेडिकल की दुनियां में जब आप जांच करने जाओगे तो डॉ कोई न कोई चीज की आपको कमी निकाल देगा और कमी के आधार पर रोगी के अंदर में एक मानसिक भय बैठ जाता है कि मेरे अंदर तो यह कमी हो गयी उसकी पूर्ति कैसे हो फिर उसी के विटामिन की गोलियां, उनके केमिकल की गोलियां शरीर में पहुंचाई जाती है जबकि एकदम सत्य है यह है कि जो कुछ शरीर में मिलता है वह आपके पाचन के द्वारा, रसों के द्वारा ही मिलता है ये केमिकल की दवाइयां शरीर में जाकर कोई बहुत अधिक लाभ नहीं देती है बल्कि भारी दुष्परिणाम उत्पन्न करती है अत: इनकी लंबी चौड़ी जांच की दुनियां की धारणा से बाहर निकले , जो अति आवश्यक जांचे हैं जिनसे मानव की समस्याओं का निदान होता है जिसका उपयोग सभी क्षेत्रों में किया जाता है वहां तक तो ठीक है लेकिन इनका बाजार संभवत हजारों की संख्या में अगले दिन में पहुंच जाएगा । यह एक धोखाधड़ी का तंत्र है जिसकी तरफ ध्यान न समाज का है न सरकारों का है और इस जांच तंत्र के माध्यम से विश्व मानवता की लूट हो रही है आप इस धारणा से बाहर निकलकर आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों का ज्ञान लीजिए तभी आप अपने परिवार को ,अपने स्वास्थ्य को, अपने समाज को सुरक्षित रख पाएंगे वरना उपचार तो दूर की बात है आपकी मानसिक स्थिति भी भय से विकृत होती चली जाएगी क्योंकि चिकित्सक जांच कराता है तो कोई न कोई तो कमी शरीर में कम ज्यादा निकाल दी जायेगी या निकल  जायेगी है और उस आधार पर आपको एक मानसिक परेशानी अलग पैदा हो जायेगी अत: जांच धारणा से बाहर निकलिए वरना आपका स्वास्थ्य सुधरना तो दूर रहा इन जांच में ही आपकी जेब खाली होती चली जाएगी और धंधे वालों का धंधा शानदार तरीके से चलता चला जा रहा है और चलता चला जाएगा ।

 🌏 *युग विद्या विस्तार योजना*

( मानवीय संस्कृति पर आधारित एक समग्र शिक्षण योजना )

👏मां नर्मदा के पावन चरणों में, अमरकंटक के पावन आध्यात्मिक क्षेत्र में 

📡मेकलसूता ऋषि विज्ञान स्वास्थ्य संरक्षण केंद्र, आरोग्य ग्राम

 डिंडोरी (मध्य प्रदेश) भारत वर्ष 

📞94 51911 234

 888 9193 577

कोई टिप्पणी नहीं: