बुधवार, 24 जुलाई 2013

३ चावल पकाना - अगला मोर्चा

३. चावल पकाना -
    नागपूर और पूरे विदर्भ इलाके में मूली भात और कद्द भात पकाने का रिवाज है। इसके लिए मूली को कद्द कस करके चावल के साथ ही पकने के लिए छोड देते हैं। चावल पक जाने पर उनमें मूली या कद्द की सुगंध जाती है। साथ ही पके चावल के लिए किसे हुए मूली या कद्द का डेकोरेशन भी हो जाता है।
    यही विधी उपनाकर मैं ककडी - भात, वनाती हूँ कभी कभी शलगम, बंद - गोभी और टिंडे भी डालती हूँ।
    लाल कद्द - भात और थोडसा नींबू का रस, बीट - भात, गाजर - भात की बनाती हूँ। कई प्रकार की फलियाँ डालकर भी बनाती हूँ - जैसे लोबिया, गवार (?), या हरी सीमियाँ (?) ही सब्जी जैसे पालक, धनिया, पुदीना, और शोपा डालकर भी बनाती हूँ।
    इसके विरुध्द घरमें कई बार कइयों ने विद्रोह भी किये हैं और कइयों ने खा पीकर कहा - देखो हम कितने सहहनशील और सज्जन हैं। लेकिन उन्हें अनदेखा, अनसुना करने में ही समझदारी और भलाई है। क्योंकि मैं इन प्रयोगों को स्वास्थवर्धक के साथ साथ सरलता के ज्वलंत उदाहरण मानती हूँ।
    मेरी ननद जो पाककला में बडी ही माहिर हैं - कुछ अलग स्वीट डिश पकाती हैं। चावल में जितनी जरुरत है, उससे आधे ही पानी में अधपका तैयार कर लो। दूसरी ओर बाकी आधे पानी में अनत्रास के छोटे टुकडे काटकर उबालो और उसमें मर्जीनुसार चीनी और थोडासा निंबू का रस भी मिला लो। अनन्नास पक जाये तो पूरा मिश्रण पकते हुए चावल में उंडेल दो। पकने पर तैयार है - मीठा अनत्रास - भात।
    यही प्रयोग ऐसे आमके साथ की किया जा सकता है जिसके टुकडे काटे जा सकते हों। संतरे और गनार के साथ भी बना सकते हैं।
    गर्मी को काटने के लिये इसमें तेल होतेसे और दही होने से यह ठंडक पहुँचाता है, और पाचक भी है। महाराष्ट्र और उत्तरी भारत में दही भात को फीका या नमक के साथ खाते हैं। लेकिन दक्षिण भारतीय डिश में इसपर हिंग राई और लाल साबुन मिर्च का छौंक भी पडता है।
    गर्मी को ही काटने के लिए विदर्भ इलाके मं उलटा उपाय किया जाता है। वह है वडा - भात वहाँ भात के साथ वडे परोसते हैं। साथ ही ऊपर से बडे की कढाई का गरम तेल भी परोसते हैं।
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४. पुलाव

    पुलाव और बिरयानी भी चावल के जाने माने व्यंजन हैं जो खास मौके के लिए हैं। इनके लिए चावल को पहले घी में भून लेना अनिवार्य है। फिर मसाले और सब्जियाँ क्या क्या पडेंगे ये आप पर निर्भर है। उत्तरी भारत में मटर, गोभी, टमाटर इत्यादि की पसंद अधिक है। महाराष्ट्र या गुजरात मे बैंगन - भात सर्वमान्य है। इसके लिए चावल को तेल में भूनते हैं। साथ में बैंगन के टुकडे भी पडते हैं और बाद में गरम मसाला भी। कुल मिलाकर बैंगन भात और पुलाव दोनों नितान्त भिन्न हैं।
पुलाव के मसाले आदिसे दूर हटकर आजकल जीरा - राइस का चलन अधिक है। इसमे भूने दुए चावलके साथ केवल जीरा डालने से काम चल जाता है।
    केशर - भत एक मीठा पकवान है। इसके लिए भी घी में भूनकर चावल पकाते हैं और पकने के अंतिम पडाव पर चीनी या गुड मिलाते हैं। फिर इसमें नारियल डालकर नारियल - भात या केशर डालकर केशर - भात (या दोनों ) बनाया जा सकता है।
    लेकिन घी खर्चिला भी है और खाने में गरिष्ठ भी। जिन्हें थोडा हल्का-अर्थात्‌ जल्दी पचनेवाला पकवान चाहिए उनके लिए घी मे भूनने के बजाय दूध में चावल पकाकर बनाई गई खीर ही अधिक पसंदीदा है।
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५. मीठे चावल

    मीठे चावल हों या चावल की खी - अर्थात दूध - चावल - चीनी। दोनों के स्वाद बढाने के कई तरीके हैं। जो उनके साथ पडनेवाले मसाले या मेवे के कारण बनते हैं। खीर अर्थात्‌ दूध के साथ इलायची, जायफल या चिरौंजी डाले जाते है। गीले काजू या बदाम के बारीक टुकडे या किशमिश भी डाले जाते हैं। छुहारे के टुकडे, छुहारा - पाऊडर भी डाले जाते हैं। गीले खजूर की गरी से अलग स्वाद आता हैं। ये मसाले ठण्डे विपाक वाले हैं और दूध के साथ ज्यादा मेल खाते हैं। खाने वाला कपूर और केशर भी डाले जाते हैं। खीर को गाढा बनाने के लिए मिल्क पाऊडर भी मिलाई जा सकती है।
    मीठे चावल यानी घी - चावल - चीनी। इसमें सामान्यतः वे मसाले डाले जाते हैं जिनका विपाक गरम माना जाता हैं। इसमें लौंग, बडी इलायची, तलामपत्र, दालचिनी, काजू के टुकडे, गीले नारियल के बारीक टुकडे डाले जा सकते हैं। किशमिश और केशर भी डाले जा सकते हैं। सूखी खुबानी सूखे अंजीर भी डलते हैं।
    मेरा प्रयोग है कि सारे गरम विपाक वाले मसाले भी खीर के साथ चल जाते हैं। मीठे चावल के साथ भी जायफल और छोटी इलायची के अलावा सभी मसाले अच्छा स्वाद देते हैं। सौंफ भी यों तो बाकी कई मीठे पदार्थो के स्वाद के लिए अच्छा मसाला है। लेकिन खीर और मीठे चावल, दोनों में सौंफ अच्छा स्वाद नाही बनता हैं।
    इन तमाम मसालों की विस्तार से चर्चा आगे प्रस्तुत है।
    खीर या मीठे चावल को चीनी के बजाय गुउ के साथ भी बनाया जाता है। खास कर यदि केमिकल रहित गुड का इस्तेमाल करें तो बहुत स्वाद आता है। दूसरे पकवानों में गुड के साथ जएसे तिल या खसखस मिलाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन खीर मेंमही गांव की रहनेवाली मेरी एक सहेली ने मुझे एक बार ऐसी खीर खिलाई जो सीधे गन्ने के ताजे रसमें पकाई हुई थी। उसका निराला ही स्वाद था। उसने एक और भी अजूबा मीठे चावल खिलाये।
    चावल को घी में भूनने के बाद आधे पानी में आधा ही पका लिया। फिर उसमें गुड मिलाकर मिश्रण बना लिया। खेत से हल्की के पत्ते लाकर एक एक पत्ते में एक एक बडा चम्मच मिश्रण भरकर लपेट लिया और सूत से बांध कर इडली पात्र में रखकर फिर एक बार पका लिया। इसमें हल्दी के पत्तों की जगह केले के पत्ते भी लिए जा सकते हैं। और केरल में तो इस चावल में कच्चा नारियल भी मिलाया जाता है। हल्दी या केले के पत्तों की सुगंध एक अनोखा स्वाद पैदा करती है।
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