गुरुवार, 1 मई 2014

***आरोग्य नीति बाबत 10 मुख्य मुद्दे

आरोग्य नीति बाबत 10 मुख्य मुद्दे

1. भारतकी पारंपारिक स्वास्थ्य रक्षा तथा उपचार पद्धति भारतीय जलवायु, सांस्कृतिक परिवेश, तथा निसर्गदत्त साधनसंपत्तिके अनुकूल है साथ ही इसका सूक्ष्म ज्ञान विभिन्न प्रकारसे और विभिन्न परिमाणोंमें देशके लोकमानस और लोकज्ञानसे जुडा है । अतः स्वास्थ्यनीतिमें भारतीय पद्धतिका भारी प्रचलन न केवल उपयोगी है वरन इसके बिना हम जनताकी आरोग्यविषयक जरूरतें पूरी नही कर सकते। भारत जैसे बडे देशकी और अत्यंत विषमताओंसे भरे समाजकी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतोंके लिये केवल एलोपथी का माध्यम नितान्त अपर्याप्त है इस बातको स्वीकार करना होगा। सभी प्रणालियोंसे मिलाजुला लाभ उठाया जा सके ऐसी नीति अपनानी होगी तभी संपूर्ण लोकसंख्याके लिये आवश्यक स्वास्थ्य सुरक्षा दी जा सकेगी -- Attitudinal Change for Holistic Health Management

2. स्वास्थ्य-सुरक्षाके संबंधमें प्रत्येक व्यक्तिके स्वयंके ज्ञान एवं अनुशासनका महत्व अनन्य है, अतः इस बातको भी स्वीकारना होगा कि स्वास्थ्य-सुरक्षा का आरंभ शिक्षा व्यवस्थासे होता है। शिक्षा प्रणाली में प्रत्येक व्यक्ति की स्व-आरोग्यसंबंधी शिक्षा तथा दूसरोंकी स्वास्थ्य रक्षाके लिये आवश्यक वैद्यकीय शिक्षा दोनोंकी बाबत सुयोग्य दिशा परिवर्तन की आवश्यकता है -- इसे ध्यानमें रखते हुए नई आरोग्य-रक्षक शिक्षा नीति बनानी होगी। यह विषय इतना व्यापक है कि इसी विषयके अलगसे 10 बिंदु बनाने होंगे। Policy changes in Education

3. देशमें आरोग्यसंबंधी रिसर्च अपर्याप्त और भारतीय पद्धतिसंबंधी रिसर्च दुर्दशाग्रस्त है -- इन दोनोंको सुधारनेकी योजनाएँ आवश्यक है। Research Needs

4. देशमें आरोग्यसंबंधी जो सांंख्यिकी एकत्रित की जाती है उसके उद्देश्य एवं उद्देश्य-पूर्ति पर विशेष ध्यान देना होगा तथा स्थानिक निकायोंमें सांख्यिकी-अध्ययन एवं इसपर आधारित स्थानीय जरूरतोंको पूरी करनेवाली नीतियाँ अपनानी होंगी जो आज नही हो रहा। इस प्रक्रियामें विद्यार्थी तथा शोधविद्यार्थियोंका बडा सहभाग आवश्यक होगा। Statistical analysis capabilities and their utilisation for local-level scheme variations

5.आजके उपलब्ध अस्पतालोंमें प्रायोगिकता से आरंभ कर भारतीय प्रणालीकी सिद्धता आधुनिक पॅरॅमीटरसे परखनेसंबेधी प्रयोगोंका आयोजन अत्यावश्यक है। इसके बिना दोनों प्रणालियोंका तालमेल नही बैठाया जा सकता जिसकी चर्चा पहले मुद्देमें की गइ है। Experiment-based synthesis of all systems for Holistic Health Management

6. चूँकि आरोग्य-रक्षा हेतु व्यक्तिगत ज्ञान व अनुशासनके माध्यमसे पचास प्रतिशत जनसंख्याकी निरोगिताको बचाया जा सकता है अतः योग, आहार-प्रणाली आदि निरोगिता-रक्षक योजनाओंको सम्मान, सुविधा एवं बीमाके साथ जोडा जाना चाहिये। इससे वे सभी जन लाभान्वित होंगे जो बिमार नही होते। इस तुलनामें आजकी सभी योजनाओंका लाभ केवल बीमार पडनेसेही मिलता है। एक गलत अर्थनीति भी इस मुद्देपर टिकी है जिसमें अधिक बिमारीको अधिक जीडीपी और अधिक विकासकी संज्ञा दी जाती है।  इसी मुद्देपर सरकारी संस्थानोंमें आर्थिक घोटाले भी होते रहते हैं । positive benefits for good health - change the unwellness-based definition of GDP

7. सरकारकी कृषि नीति तथा पर्यावरण-नीति दोनोंही भारी मात्रामें प्रदूषणको बढावा दे रही हैं जिस कारण अधिकाधिक बिमारियाँ फैल रही हैं। रासायनिक खाद रहित कृषि और देशी वंशकी गायें-बकरियाँ-मुर्गियाँ (पशुधन) के बिना बिमारियाँ पढती रहेंगी। इसी प्रकार आजकी नगर-विकास नीतियाँ भी जीवनको तनाव-ग्रस्त बना रही हैं जो रोगका बडा कारण है। नगर-विकासकी दिशा बदले बगैर इन तनावों एवं बिमारियोंसे बच पाना कठिन है। Paradigm Shift needed in policies for Eco-conservation, Agriculture, Animal Husbandary, and Urbanisation,

8. कानून में 3-4 दिशाओंमें परिवर्तन आवश्यक है - आजका कानून आयुर्वेदको बंधे पानीकी तरह बाँधकर रखना है और किसी भी नये रिसर्छकी संभावना से वंचित करता है। आजका कानून केवल ठप्पाघारी ( डिग्री आधारित) प्रॅक्टिसकी अनुमति देता है -- इसे गुरुकुल आधारित बनाना होगा। साथ ही हमारा आयपीआरका कानून पारंपरिक सामाजिक ज्ञानको विश्व-स्तरीय आक्रमणसे बचानेमें पर्याप्त रूपसे सक्षम नही है। Many legal changes needed, Urgent attemtion to IPR Laws to safeguard the interest of our traditional knowledges

9. स्वास्थ्यविषयक प्रचार-प्रसार हेतु पुस्तकें व इलेक्ट्रॉनिक माध्यमोंको भारतीय भाषाओंमें उपलब्ध कराना। विशेषतः भारतीय पद्धतियोंका ज्ञान जो इतस्ततः बिखरा पडा है उसका संकलन एवं अगली पीढियोंके लिये जतन आवश्यक है। Books, Clip-banks in regional languages and on the whole range of health-keeping systems.

10 आज पश्चिमी देशोंमें भारतीय आरोग्य-रक्षक पद्धतियोंकी लोकप्रियता बढ रही है। अतएव इनके माध्यमसे भारतीय सांस्कृतिक विरासतको विदेशोंमें सही परिप्रेक्ष्यमें पहुँचाया जा सकता है। इस विषयपर चिंतनपूर्वक दूरगामी नीतिकी आवश्यकता है । Use Indian Health Systems as our cultural Ambassadors.abroad.





Bharatiya Health Policy – Points for consideration
I. Protecting n Promoting Health is a ‘Responsibility’ - Action Points:
• At Individual Level
• At Family Level
• At Village Level
• At School level.
II. Participatory; Protective, Preventive &  Promotive  Public Heatlhcare:
• National Preventive and Promotive programs and Budget Allocation for the same.
• Sanitation & Hygiene
• Safe Drinking Water
• Ensuring Balanced Nutrition
• Reproductive &  Child Health
• Prevention of Communicable Disease
• Prevention of Non Communicable Diseases
III. ‘Healthcare’ & ‘Medicare’ are not synonyms.
• Correcting their contextual use [Similar pair = Dharma &  Religion]
• How to avoid their interchangeable use by policy makers.
IV. Clinic & Hospital based Curative Medicare – Action Points:
• Standards for Clinics, Hospitals &  Practice
• Indian Guidelines for Clinical Practice (understanding the context of Indian
research &  resources)
• Holistic Indian Health Care (bringing allopathy, homeopathy, ayurveda,
naturopathy under one umbrella)
• Accreditation
• Linkage with Insurance
• Universal Medicare Insurance
• Ethics & Values in Medicare
V. Role of Yoga in Healthcare:
• Yoga for Positive Health – a wellness initiative
• Yoga Therapy for Chronic Systemic Illnesses [Adhij Vyadhis]
• Yoga in Palliative Care
• Yoga education
VI. Role of Ayurveda in Healthcare
• Ayurveda Education
• Ayurveda in Medicare
VII. Role of Traditional Medicinal Systems:
• How to Preserve & Promote usage of Traditional Medicinal Systems
VIII. Policies Related to Medical Education:
• Work towards holistic health course – AYUSH + Western Medicine. Ayurveda &
Holistic Approach towards Medicare based on Bharatiya Vangmaya.
• Revise syllabus to become more practical for Indian situation. [start the course
with rural postings , include nursing syllabus in first yr, and then go on to
anatomy, physiology pathology pharmacology along with medicine surgery etc]
• Involve and use students in implementing national health programs right from first
year.
• Less of theory more of practical /clinical work
• Make post degree service to the nation compulsory
• Ethics & Values in Medical Eduction
IX. Role of WHO in Bharatiya Healthcare Delivery:
X. Policies related to Medical Research:
• Ethics &  Values in Clinical Research
• Support for original research on Indian knowledge.
• What research should not happen in this country (Ex: Multi Centric Trials from
abroad using our patients as guinea pigs)
XI. Importance of Traditional Life Style and Value System:
• Influence of single parent families on child health
• Violence, depression and lack of emotional support in families
• Violence in Schools
XII. Spiritual Health & its Allied Sciences:
XIII. Quantifying Health needs of Society:
Arogya shiksha for every individual: a)how many teachers for that b) how many
Arogya school for that
Basic medical care for ill: a) how many ills are expected, b) how many GPs required,
c) how many colleges, d) how many Health Social & Communication workers, e)
source of fund social organizations/govt/investors and profit makers
Advanced medical care a) how many pts expected, b) how many subspecialists
required, c) how many colleges, d) funds - social organizations/govt/ investors and
profit makers (insurance), e) teaching opportunity, availabilty of teachers.
XIV. Information Technology & Health:































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