गुरुवार, 10 नवंबर 2016

बाख -- पुष्प चिकित्सा

बाख -- पुष्प चिकित्सा





अष्ट दिशा व त्यांचे महत्व

अष्ट दिशा व त्यांचे महत्व 




बुधवार, 9 नवंबर 2016

राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान -- Broture

राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान Broture






सोमवार, 7 नवंबर 2016

क्योटो संधि का मूल मुद्दा -- अपूर्ण

क्योटो संधि का मूल मुद्दा

पिछले बीसेक वर्षों से पूरे विश्व में गरमी बढने की बाबत चिन्ता व्यक्त की जा रही है। सूरज से हमें गरमी और रौशनी दोनों मिले हैं। लेकिन पृथ्वी के चतुर्दिक फैले हुए वायुमंडल की सबसे ऊपरी सतह में ओजोन गैस की बहुलता के कारण गरमी की काफी बडी मात्रा ऊपर ही सोख ली जाती है। बाकी जो गरमी घरातल तक पहुँच पाती है वह उतनी ही है जो हमारी जरूरतों के लिये आवश्यक है। हजारों वर्ष पहले पृथ्वी पर जीवन विकास इसी गरमी के अनुरूप हुआ था।
लेकिन उस जीवन- विकास का चरमोत्कर्ष अर्थात् मनुष्य, काफी बुद्धिमान निकला। उसने अपनी सुविधाओं के लिये कई जोड तोड किये और अन्त में वह स्थिती आ गई जब मानवी क्रिया कलापों के कारण वायुमंडलीय ओजोन लेयर को ही खतरा पैदा हो गया। यदि ओजोन लेयर कारगर नही रही तो सूरज की गरमी अत्याधिक मात्रा में घरातल तक उतरेगी जिससे जीवन ही दूभर हो जायगा। यही चिन्ता अब विश्वभर के वैज्ञानिक एवं विचारवन्तों को सता रही है।