नक्षत्रवन
पूजन अनुष्ठान में महत्व: किसी भी पूजन अनुष्ठान में पंचपल्लव की आवश्यकता पड़ती है। मूल शांति में 27 नक्षत्रों के वृक्षों के पत्तों की आवश्यकता होती है। शारदा तिलक के अनुसार नक्षत्रों के वृक्ष - कारस्करोऽथधात्री स्यादुदुम्बरतरूः पुनः। जम्बूरवदिर कृष्णाख्यौ वंश पिप्पल संज्ञकौ।। नागरोहिणनामानौ पलाशप्लक्षसंज्ञकौ। अम्बष्ठविल्वार्णुनाख्या विकङकतमहीरूहाः।। वकुलः सरलः सर्जो वंजुलः नपसार्ककौ। शमीकदम्बनिम्बाभ्रमधूका रिक्षशारिवनः।। अर्थात कारस्कर (कुचिला) धात्री (आंवला) उदुम्बर (गूलर) जम्बू (जामुन) खदिर (खैर) कृष्ण (शीशम) वंश (बांस) पिप्पल (पीपल) नाग (नागकेसर) रोहिण (वट) पलाश, प्लख (पाकड़) अम्बष्ठ (रीठा) बिल्व, अर्जुन, विकंकत (कंटारी) वकुल (मौलश्री) सरल (चीड़) सर्ज (साल) वंजुल (सैलिक्स, जलवेतस) पनस (कटहल) अर्क (मदार) शमी, कदंब, आम्र, निम्ब, महुआ। यस्त्वेतेषामात्मजन्मक्र्षमाणां मतर्यः कुर्यादभेषजादीनमदान्धः। तस्यायुष्यं श्री कलगं च पुत्रोनश्यत्येषां वर्द्धते वर्द्धनाधै।। (राजनिघण्टु) अर्थात जो मदान्ध व्यक्ति अपने जन्म नक्षत्र वाले वृक्षों की औषधि आदि का उपयोग करते हैं, उनकी आयु, श्री, स्त्री तथा पुत्र नष्ट हो जाते हैं। अपने जन्म नक्षत्र के वृक्षों को बढ़ाने और पालन करने से आयु आदि की वृद्धि होती है। क्रम नक्षत्र देवता वृक्षों के नाम 1. अश्विनी अश्विनी कुचिला 2. भरणी यम आंवला 3. कृत्तिका अग्नि गूलर 4. रोहिणी ब्रह्म जामुन 5. मृगशिरा सोम खैर 6. आद्र्रा रुद्र शीशम 7. पुनर्वसु अदिति बांस 8. पुष्य गुरु पीपल 9. आश्लेषा सर्प नागकेसर 10. मघा पितर बरगद 11. पू. फाल्गुनी भग ढाक 12. उ. फाल्गुनी अर्यमा पाकड़ 13. हस्त सविता रीठा 14. चित्रा त्वष्टा बेल 15. स्वाति वायु अर्जुन 16. विशाखा इन्द्राग्नि विकंकत 17. अनुराधा मित्र मौलश्री 18. ज्येष्ठा इन्द्र चीड़ 19. मूल निऋति साल 20. पूर्वाषाढ़ा अप (जल) जलवेतस 21. उत्तराषाढ़ा विश्वेदेव कटहल 22. श्रवण विष्णु मदार 23. धनिष्ठा वसु शमी 24. शतभिषा वरुण कदंब 25. पू. भाद्रपद अजैकपद आम 26. उ. भाद्रपद अहिर्बुध्न्य नीम 27. रेवती पूषा महुआ
पूजन अनुष्ठान में महत्व: किसी भी पूजन अनुष्ठान में पंचपल्लव की आवश्यकता पड़ती है। मूल शांति में 27 नक्षत्रों के वृक्षों के पत्तों की आवश्यकता होती है। शारदा तिलक के अनुसार नक्षत्रों के वृक्ष - कारस्करोऽथधात्री स्यादुदुम्बरतरूः पुनः। जम्बूरवदिर कृष्णाख्यौ वंश पिप्पल संज्ञकौ।। नागरोहिणनामानौ पलाशप्लक्षसंज्ञकौ। अम्बष्ठविल्वार्णुनाख्या विकङकतमहीरूहाः।। वकुलः सरलः सर्जो वंजुलः नपसार्ककौ। शमीकदम्बनिम्बाभ्रमधूका रिक्षशारिवनः।। अर्थात कारस्कर (कुचिला) धात्री (आंवला) उदुम्बर (गूलर) जम्बू (जामुन) खदिर (खैर) कृष्ण (शीशम) वंश (बांस) पिप्पल (पीपल) नाग (नागकेसर) रोहिण (वट) पलाश, प्लख (पाकड़) अम्बष्ठ (रीठा) बिल्व, अर्जुन, विकंकत (कंटारी) वकुल (मौलश्री) सरल (चीड़) सर्ज (साल) वंजुल (सैलिक्स, जलवेतस) पनस (कटहल) अर्क (मदार) शमी, कदंब, आम्र, निम्ब, महुआ। यस्त्वेतेषामात्मजन्मक्र्षमाणां मतर्यः कुर्यादभेषजादीनमदान्धः। तस्यायुष्यं श्री कलगं च पुत्रोनश्यत्येषां वर्द्धते वर्द्धनाधै।। (राजनिघण्टु) अर्थात जो मदान्ध व्यक्ति अपने जन्म नक्षत्र वाले वृक्षों की औषधि आदि का उपयोग करते हैं, उनकी आयु, श्री, स्त्री तथा पुत्र नष्ट हो जाते हैं। अपने जन्म नक्षत्र के वृक्षों को बढ़ाने और पालन करने से आयु आदि की वृद्धि होती है। क्रम नक्षत्र देवता वृक्षों के नाम 1. अश्विनी अश्विनी कुचिला 2. भरणी यम आंवला 3. कृत्तिका अग्नि गूलर 4. रोहिणी ब्रह्म जामुन 5. मृगशिरा सोम खैर 6. आद्र्रा रुद्र शीशम 7. पुनर्वसु अदिति बांस 8. पुष्य गुरु पीपल 9. आश्लेषा सर्प नागकेसर 10. मघा पितर बरगद 11. पू. फाल्गुनी भग ढाक 12. उ. फाल्गुनी अर्यमा पाकड़ 13. हस्त सविता रीठा 14. चित्रा त्वष्टा बेल 15. स्वाति वायु अर्जुन 16. विशाखा इन्द्राग्नि विकंकत 17. अनुराधा मित्र मौलश्री 18. ज्येष्ठा इन्द्र चीड़ 19. मूल निऋति साल 20. पूर्वाषाढ़ा अप (जल) जलवेतस 21. उत्तराषाढ़ा विश्वेदेव कटहल 22. श्रवण विष्णु मदार 23. धनिष्ठा वसु शमी 24. शतभिषा वरुण कदंब 25. पू. भाद्रपद अजैकपद आम 26. उ. भाद्रपद अहिर्बुध्न्य नीम 27. रेवती पूषा महुआ
पर्यावरण संतुलन बनाए रखना आज के समय की सबसे बडी चुनौती बन गई है। जहां एक और हम औद्योगिक विकास के द्वारा आर्थिक सम्पन्नता की ओर बढ़ रहे है वहीं दूसरी ओर हम पर्यावरण को क्षति पहुंचाकर अपने लिए ही समस्याएं (प्रदूषण) पैदा कर रहे है। वृक्षों का सीधा संबंध हमारे जीवन से है यदि पौधे रहेगे तो हमारा पर्यावरण शुद्ध रहेगा, पर्यावरण रहेगा तो हम रहेगे अर्थात हमारा अस्तित्व बना रहेगा। आज हमें यह निर्णय लेना है कि हम अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर न केवल पर्यावरण का संतुलन बनाएं अपितु आगे आने वाली पीढ़ी को भी प्राण वायु की व्यवस्था करें।
हमारे प्राचीन ग्रथों में लिखा है कि अपने कल्याण की इच्छा करने वाले पुरूष को चाहिए कि वह तालाब के किनारे अथवा खाली जमीन पर अपने बुजुर्गों के नाम अच्छे बड़े छायादार और फलदार पौधे लगाएं और अपने पुत्रों की भांति उनका पालन पोषण करें । शिवपुराण में इस बात की महत्ता प्रकट करते हुए लिखा है कि आतीतानागवान सर्वानपित्र वंशास्तृ तरपोत् कान्तारे वृक्ष रोपी यस्तस्माद् वृक्षांस्तु रोपयेत। अर्थात जो वीरान एवं दुर्गम स्थनों पर वृक्ष लगाते है वे अपनी बीती व आने वाली सम्पूर्ण पीड़ियों को तार देते हैं। हमें चाहिए कि हम अपने घरों के आसपास खेतों की मेढो पर पौधे रोप सकते है। हम बडे बूढ़ो के नाम पर आम, आंवला, जामुन जैसे फलदार वृक्ष लगाएं इससे पर्यावरण शुद्धि के साथ बढ़ों को शांति व बच्चों की आयु यश विद्या में वृद्धि होगी।
नक्षत्रवन - हमारे मनीषियों ने ज्योतिष के अनुसार प्रत्येक नक्षत्र के वृक्षों का उल्लेख शास्त्रों में किया है। जो भी व्यक्ति अपने जन्म नक्षत्र के वृक्षों (पौधों ) को रोपित करता है सींचता है उनका भरण पोषण करता है व पूजता है उसकी आयु के साथ ऐश्वर्य व धन धान्य में भी वृद्धि होती है। 27 नक्षत्रों के जो वृक्ष बताए गये है उसके अनुसार अश्वनी नक्षत्र के लिए कुचला का वृक्ष, भरनी नक्षत्र के लिए आंवला, कृतिका के लिए गूला व स्वर्णदीरी, मृगशिरा के लिए खेर, आद्रा नक्षत्र का वृक्ष बहेडा, रोहणी के लिए जामुन व तुलसी बताया गया है । इसी प्रकार पुनर्वसु नक्षत्र के लिए बांस, पुण्य नक्षत्र के लिए पीपल, अश्लेश के लिए नागकेसर, मघा के लिए बड़, पूर्वकाल्गुनी नक्षत्र के लिए ढाक (पलास) का वृक्ष, तथा उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के लिए रूद्राक्ष, पाकर लगाना उपयोगी माना जाता है। 13 वे स्थान के नक्षत्र हस्त में जन्में व्यक्ति रीठा व पाढ का वृक्ष, चित्रानक्षत्र वाले बेल नारियल, स्वाती के लिए अर्जुन का वृक्ष, विशाखा नक्षत्र के लिए राजबबूर, अनुराधा नक्षत्र के लिए बकुल, मौलश्री, ज्येष्ठ नक्षत्र के लिए देवदारू व लोध का वृक्ष लगा सकते है। इसी प्रकार मूल नक्षत्र के लिए साल वृक्ष, पूर्वाषाढ़ा के लिए जलवेंत, उत्राषाढ़ा नक्षत्र के लिए फालसा लगाये। श्रवण के लिए आक लगाये,धनिष्ठा नक्षत्र के लिए शमी लगाएं शतभिषा नक्षत्र के लिए कदम्ब, पूर्वा भाद्रापदा नक्षत्र के लिए आम लगायें, उत्तरा भाद्रपदा नक्षत्र के लिए नीम तथा रेवती नक्षत्र के लिए महुआ का वृक्ष लगाना लाभकारी होता है।
इस प्रकार हम भौतिक, अध्यात्मिक तथा परलौकिक लाभ प्राप्त करने के लिए वृक्षारोपण कर न केवल अपने प्रति अपितु समाज व देश के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी निभा सकते है।
राशि के अनुसार यह वृक्ष लगायें
मेश राशि वाले आंवला का वृक्ष अपने परिसर में लगायें। वृषभ राशि वाले जामुन, मिथुन राशि वाले शीशम, कर्क राशि वाले पीपल, सिंह राशि वाले ढांक, कन्या राशि वाले रीठा, तुला राशि वाले अर्जुन, वृश्चिक राशि वाले मौलश्री, धनु राशि वाले जलवेतम, कुम्भ राशि वाले कदम और मीन राशि वाले नीम का वृक्ष लगाकर उनकी सुरक्षा करें ।